Category Archives: विनोदी लेखन

आज का महाभारत

काही दिवसांपूर्वी ऑफ़ीसच्या ’फ़ॅमिली डे’ च्या कार्यक्रमासाठी एक विनोदी स्किट लिहून हवं होतं. त्यांनी विषय दिला ’आज का महाभारत’ ! त्यात कळस म्हणजे निम्म्याच्या वर स्टाफ़ मराठी न कळणारा असल्यामुळे त्यांना ते हिंदीतून हवं होतं. बसलो झालं लिहायला……

खरेतर त्याची चित्रफ़ीतही जोडायचा विचार होता पण कंपनीच्या नियमात ते बसत नाही म्हणून फ़क्त स्किट इथे टाकतोय.

डिस्क्लेमर : इथे कुणाच्याही भावना दुखवण्याचा हेतु नाहीये. तेव्हा केवळ एक विनोद या दृष्टीने पाहावे/वाचावे ही विनंती.

प्रस्तुत आहे ….

आज की महाभारत
(स्टेजपर एक कुर्सीपें महामहिम धृतराष्ट्र बैठे है, सर पकडे हुये और दुसरी कुर्सीपें दुर्योधन सोचमें डुबा हुवा बैठा है ! दु:शासन स्टेजपें आता है.. मोबाईलपे कुछ देखता हुवा.. )

दु:शासन : अं…. Y-u-d-h-i-s-h-t-h-e-e-r, करेक्ट यही नंबर होना चाहीये? ….

रेकॉर्डेड मेसेज : क्षमा करे, आप जिस नंबरतक पहुचने की चेष्टा कर रहे है, वह नंबर इस वक्त व्यस्त है….

दुर्योधन :अब यही दिन देखना बाकी था ! अरे नंबर डायल करो अनुज दु:शासन, नाम नही? आज सुबह सुबह क्या पीके आये हो?
दु:शासन : क्या भैय्या आपभी ! धर्मभैय्या का प्रायव्हेट नंबर डायल कर रहा हूं, सारे नंबर बिझी आ रहे है उनके? आपके पास द्रोप्सका नंबर है? वही बिझी होंगे शायद धर्मभैय्या…
दुर्योधन : हा क्यु नही, वही करते है. वैसेभी आजकल जिस घरमें सौ-सौ बच्चे पैदा होते हो, उनके हाथ में बस यही एक काम रह जाता है! नंबर घुमाओ और दुसरोंकी प्रायव्हसी बिगाडो. A new way to promote family planning

(तिसरा आदमी एंटर होता है, थोडा लंगडाता हुवा (शकुनी))

शकुनी : Hello boys, how are you doin? have you send the invitations to Pandavas for this year Dyut Event? Lets rock this year. This year I am going claim the Cable TV rights from yudhishthira for Delhi area.
दुर्योधन : क्यु मामाजी ? बेचारा किसी तरहा परिवारके लिये चार पैसे जोड रहा है, जोडने दो. क्यु उसके पेट्पें लाथ मार रहे हो. हरी ओम, हरी ओम… bad manners !
शकुनी : Bhanje, Last time we manage to send them to Vanvasa. But do you know, he was habdeling the entire cable business of Delhi from their also. , that is why they could prepare for the war after sending 13 years while being away from the empire also. this business has got lots of money bhanje, lots of money…
दु:शासन : लेकीन मामाजी आप इतने दिन थे कहा, और ये क्या हुलिया बना रख्खा है, ये टीशर्ट, बर्मुडा… , अजीब लग रहे है आप !
शकुनी : bhanje, last days, i was in Makau to learn advanced skills of gamble from their casinos. Do you know Dharmaraj had also learned these skills during last vanvasa. We should keep updating our skills everyday if we want to grow and earn profit.
दुर्योधन : केबल के धंदेमें काहे का पैसा मामाजी, आजकाल तो वो धंदा भी अंबानीज, टाटाज और मित्तल्स ने टेक ओव्हर किया है , हमारे लिये तो कुछ भी नही छोडा है…. , या ना तो आपके चौसरके फासे काम आते है, ना कर्णकी बहादुरी. यहा दिमाग की जरुरत है और उसका ठेका वो किशनकुमार यादव लेके बैठा है!
धृतराष्ट्र : ये सब क्या हो रहा है दुर्योधन? कमसे कम तुम तो इस तरहा हिम्मत मत हारो. शकुनी जरुर कोइ काम की चीज कहने आया होगा. बोलो शकुनी….
शकुनी : Hi Jijs, how u doin? nice to see you again!
धृतराष्ट्र : काश, यही बात मै तुमसे भी कह पाता?
शकुनी : come on Jijs, you cant change destiny? btw where is my dear sister? Be alert, she was also in touch with these “Women Liberation Groups”. One day she’s gonna ditch you. I am telling you.
धृतराष्ट्र : अब तुमसे क्या छिपा है शकुनी. घर घर की वही कहानी. इनकी किटी पार्टीजसे तो परेशान हो गया हूं मै. तुम्हारे वो जादुइ पासेभी किसी कामके नही रहे. बस हारती है रहती है अपने महिला मंडलके ताश के खेल में. अब तो बस दुर्योधनकाही सहारा है…
दुर्योधन : हां हां , क्यो नही? वैसे भी आपने करनाही क्या है? आपके सौ-सौ बच्चोंको पालनेका काम तो वैसेभी मेरी कमर तोड रहा है! अरे कुछ तो फॅमिली प्लानींग का खयाल किया होता तो आज ये दिन तो नही देखने पडते कमसे कम. बेचारे युधीष्ठीर कों परेशान करके क्या फायदा?
दु:शासन : हा भाय, बोले तो, एकदम ठिक बोला आपने. कलही युधिष्ठीरब्रो कह रहा था ट्वीटरपर,” यार दु:शासन, सुयोधनने तो सिर्फ बारा-तेरा साल के लिये बाहर कर दिया था हमे ! ये नये लोग लोग तो पुरा धंदाही डुबोने पें तुले है…. एक तो महंगाई कमर तोड रही है, और ये लोग हमारे सारे धंदे हथीया रहे है!
दुर्योधन : और नही तो क्या? युधिष्ठीर जैसा प्रोफेशनल बिझनेसमॅन रो रहा है, धंदेमें नफा-नुकसानी का चक्कर हम क्या खाक हेंडल करेंगे? एक तो घर में सौ – सौ बच्चे, उनके और बच्चे… साला पॉपुलेशन कंट्रोलका किसीको खयालही नही?
शकुनी : Dont worry bhanje, we will do something this year, Dont worry… Mai hu naa !
दु:शासन : नो..नो…नोप मामाजी ! नो द्युत धिस टाईम. ड्रौपदीभॅब्ज ने मना कर दिया है…
शकुनी : and why is dat?
दुर्योधन : हा यार मेरी बीबी भानुमती भी शिकायत कर रही थी परसो. बोली, तुम लोक दो आदमी आपसमें द्युत्-व्युत खेलते रहते हो और हम लोंगको मख्खीया मारते बैठना पडता है! इस बार कोइ ऐसा गेम खेलो जिसमें हम लोग भी, मतलब भानुमती और द्रौपदी भी हिस्सा ले सके.
शकुनी : and you agreed for that?
दुर्योधन : मानना पडता है मामाजी ! ‘हायकमांड’ का ऑर्डर तो ‘मनमोहन’ को भी मानना पडता है ! मै तो फिरभी एक मामुलीसा राजा हूं…
शकुनी : हाय कमांडसे तुम्हारी पत्नी का क्या रिलेशन? Come on bhanje, don’t talk rubbish?
दु:शासन : आपको तो कुछ पता ही नही है मामाजी. हाय कमांडने भानुभॅब्ज और ड्रोपभॅब्ज दोनोंको स्पेशल लेडीज कोटेसे दो टिकीट्स देनेका वादा किया. एक हस्तिनापुरसे और एक इंद्रप्रस्थसे. They are in alliance now. वो दोनो जितना हाय कमांडकी सुनती है, उतना तो बडे भैया और धरमभाईसाब की भी नही सुनती… .

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दुर्योधन : अब क्या हुवा और?
दु:शासन : अब तो द्युत को भूलही जावो बडे भैया. Listen I will read this tweet update for you.
“Mr. Krishankumar alias Shrikrishna Vasudev Yadav has changed his business. Now he will no more be supplying Sarries, he has closed the business of supplying cloth material. Hence no Dyut this year.” Dropes..
दुर्योधन : लो कल्लो बात ! अब क्या नया बिझीनेस शुरू किया उस ग्वालेनें. पहले दुध बेचता था, फीर उसकी फ्रँचायसीज देके खुद प्रॉफीट कमाने लगा. फीर कपडे का बिझनेस शुरु किया था, अब वो भी छोड दिया. What he will be doing now?
दु:शासन : Bade bhaiyya, he has started providing Consultancy Services for Politicians, MPs, King makers and Godfathers. ये क्रिष्णभाईभी ना, बदलते समयकी नस बराबर पहचानते है. एकदम प्रॉफीट ओरिएंटेड पर्सन. देखा ना क्या दिमाग है… Profit, profit and profit only, that also with a very less investment !
दुर्योधन : तभी तो, तभी तो उसको गुजरातमें इतना मानते है !
शकुनी : Come to the point भान्जो ! If dyut will not be there, then what should I do?
दु:शासन : मामाजी, यु शुड टेक संन्यास नाऊ?
शकुनी : Then what you are going to play?
दु:शासन : ड्रोपडी भॅब्जने एक सुझाव दिया है… How about अंताक्षरी? ओह गॉड, असली बात तो भुलही गया मै जिसके लिये आया था? बडे भैय्या, Do you have Annu Kapur’s mobile numbers. We will ask him to anchor our अंताक्षरी event as well. What Say?
(दुर्योधनाचा चेहरा उजळतो, शकुनी डोक्यावर हात मारुन खाली बसतो) …….
(कट टू नेक्स्ट सीन….)
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स्टेजपर फोनपें किसीसे बात करते हुये एक महिला और उसकी तरफ देखता हुवा एक शख्स !
द्रौपदी : हॅल्लो मिसेस द्रौपदी पांच. पांडव स्पिकींग. हॅल्लो..हॅल्लो इज इट बॅरिस्टर पेठमलानी? हां जी, पेठमलानी साब, द्रौपदी बोल रही हु…
धर्मराज : किससे बात कर रही हो द्रौपदी? कौन है ये बॅरिस्टर पेठमलानी. Why dont you contact Advocate Ujwal Nikam. He is also one of the best lawyers of India.
द्रौपदी: आप थोडा चुप रहेंगे प्लीज? . हा तो पेठमलानी साहब, in coming future , I may need your services. कौरवोकी तरफसें फिरसे बुलावा आया है द्युत खेलने के लिये. आपको तो पताही है, मेरे हजबंड तो द्युत के मामलेमें एकदम झीरो है! हारना तो उन्होने है ही…, फिरसे मेरे वस्त्रहरण ९९.९९% गॅरेंटी है…
पेठमलानी : आप फिकर ना करो भाभीजी. बोलो तो कुछ दिन के लिये अंदर करवा दू धर्मराजको. काफी दिनोसें उसने अपनी केबल कंपनीके सॅटेलाईट बिलका पेमेंट नही किया है! उसी केस में उलझा देता हु उसको, ना द्युत खेल पायेगा, ना ही आगे की कोइ नौबत आयेगी…
(द्रौपदी चुपचाप एक कोनेमें खिसक जाती है… फोनपर धीमी आवाजमें बात करना चालु कर देती है…)
द्रौपदी : अरे नही, नही पेठमलानी साहब, क्युं बच्ची के पेटपें लात मार रहे है? ऐसा अनर्थ मत किजीये. मैने कुछ और ही सोचा है !
पेठमलानी : ठिक है, तो आप बताओ करना क्या है?
द्रौपदी : देखिये पेठमलानी साहब. वस्त्रहरण होना पक्का है ! लेकीन वो मॅटर किशनभाई मॅनेज कर लेंगे..
पेठमलानी : तो अब प्रॉब्लेम क्या है?
द्रौपदी : दो कारण है इसके. एकतो मै इन लोगोकों इस बार इतने सस्ते में नही छोडना चाहती. अरे 21st Century की नारी हुं मै, ऐसे थोडेही किसीको अपने चारित्र्यहननकी इजाजत दुंगी, वो भी मुफ्त में? नोप….
पेठमलानी : लगता है इसबार कोई बडी दुरकी सोचकें चल रही है आप भाभीजी. चलो अब बता भी दो, आपके दिमागमें क्या चल रहा है…
द्रौपदी : पेठमलानी साहब, जैसे ही वस्त्रहरण हो जाये, आपको मेरी तरफ से दो केस दायर करनेहै! एक कौरवोपें मॉलेस्टेशन अँड फिजिकल अ‍ॅब्युजका और दुसरा पांडवो पें डोमेस्टिक हॅरॅशमेंटका ! कैसी रही?
पेठमलानी : लेकीन ऐसे केस तो सालो चलते है भाभी!
द्रौपदी : वो आप मुझपे छोड दिजीये. दुर्योधनके साथ आउट ऑफ द कोर्ट सेटलमेंट कर देंगे तुरंत. या तो वो मुझे सौ करोड का मुआफजा दे, या फीर हमारा जीता हुवा सारा राजपाट, धर्मराजके केबल बिझिनेसके राईट्स मेरे नामपें करदे! किसी एकके लिये तो उसे तैय्यार होना ही पडेगा ! रही बात धर्मराजजी की तो वो इस आरोप से बचनेके लिये पहले “नो ऑब्जेक्शन सर्टीफिकेट” दे देंगे इस प्रॉपर्टी ट्रान्सफरके लिये ! बाकी भाई तो उनका कहना मान ही लेंगे..!
पेठमलानी : ओके भाभीजी, डन !

(धर्मराज और अर्जुन स्टेजपें आ जाते है)

धर्मराज : हो गयी बात वकीलसे, इतनी कौनसी सिरियस बात कर रही थी, जो मुझे भी नही बता सकती?
द्रौपदी : कुछ खास नही. हमारे केबलकें धंदे के सिलसिलेमें कुछ बात कर रही थी ! (अर्जुन की तरफ देखकर आंख मारती है)
अर्जुन : हा भैय्या, वैसे भी हमारा ये धंदा आजकाल ठिक नही चल रहा है ! टाटा या अंबानीजमेंसे किसीके साथ जॉइंट वेंचर करनेकी सोच रहे है, ….
धर्मराज : अरे यार, ऐसी बाते मुझे भी बताया करो. मेरे अनजान होने का फायदा उठाकर वो शकुनी हर बार कोइ नयी चाल चलता है! तुम लोग बात करके फायनल कर लो और फिर मुझे बता देना. तब तक मैं जरा आराम कर लेता हुं.. (धर्मराजकी एक्झीट)
द्रौपदी : ह्म्म्म, बच्च गये, मुझे लगा तुम्हारे बडे भैय्या को कोइ शक तो नही हो गया मेरी बातचीतको लेकर !
अर्जुन : तुम जिनीयस हो ड्रोप्स ! वैसे तुमने पेठमलानी को बोल दिया ना, सारा राजपाट और केबल का बिझीनेस मेरे नाम पर ट्रान्सफर करने के बारेमें.
द्रौपदी : मैने सब बंदोबस्त कर दिया है पार्थ ! तुम बिलकुल फिकर मत करो….

(द्रौपदी प्रेक्षकोसे स्वगत : तुम फिकर मत ही करो अर्जुन, बस देखते रहो, मै कैसे एकेक का पत्ता कट करती हुं, तुम्हारा भी)

अर्जुन : द्रौपदी वो देखो भीम आ रहा है… उससे जरा बचके रहना, वो फटाकसे चोरी प़कड लेता है! इससे पहले की वो यहा आये, मै भाग लेता हुं….

(अर्जुन एक्झिट) भीम स्टेजपें आता है…

अर्जुनः वो इटलीवाला याद रखना ड्रोप्स…
भीम : अरे ये अर्जुन किधर गया? मुझे देखते कल्टी डॉट कॉम हो जाता है आजकल ये. मुझे इसके लक्षण कुछ ठिक नही दिखते…
द्रौपदी : वो आय.पी.एल देखने गया है. आज इंडीया – पाकिस्तान मॅच है..
भीमः आय्.पी.एल्.में इंडीया – पाकिस्तान?
द्रौपदी : पुणे और मुंबई का मॅच है, इंडीया पाकिस्तानसे कम थोडी ही होगा?
भीम : छोडो द्रौपदी, वैसे इस बार तुम्हारा वस्त्रहरण नही होने दुंगा मै. दुर्योधनके ड्रायव्हरने कलही एक दुर्योधनकी एक सीडी भेजी है मुझे.
द्रौपदी :अरे नही, नही स्वामी. आप फिकर मत किजीये मैने किशनभैय्या मेरी मदत कर ही देंगे. सीडी हम किसी और काम के लिये युज करेंगे. BTW I hv a good news for you..
भीम : (gets excited) and what is that?
द्रौपदी : इस बार की ‘मिस्टर युनिव्हर्स’ कॉम्पिटेशन युरोपमें हो रही है.. और स्वामी (इथे द्रौपदी लाडात येते) मै चाहती हुं की इस बार आप इस द्युतक्रीडामें आनेके बजाय ‘मिस्टर युनिव्हर्स्’में पार्टीसिपेट करे और मेरे लिये ‘मिस्टर युनिव्हर्स’ का ये किताब जीत कर लाये, लायेंगे ना?
भीम : क्युं नही प्रीये, अभी जाता हुं और इस कॉम्पिटिशनके लिये इनरोल करता हुं…

(भीम एक्झिट – अर्जुन इन)

अर्जुनः क्या बात है मेरी जान, किस खुबसुरतीसें तुमने भीमको कटोरीमें उतार दिया. …
द्रौपदी :फीर आपने समझ क्या रख्खा है अपनी ड्रोप्स को पार्थ ! औरत का दिमाग है ये !
अर्जुन : लेकीन नकुल- सहदेव
द्रौपदी : उन दो बेवकुफोंको तो मैने पहलेही साईडमें कर दिया है! उनको एक फिल्म में काम दिला दिया है! अब वो दोनो उसीमें बिझी रहेंगे आनेवाले ७-८ महिनोंतक !
द्रौपदी : तुम देखना इक्कीसवी सेंचुरी की ये द्रौपदी अब कैसा खेल खेलती है…!

(फोन निकालके कोइ नंबर डायल करती है)

द्रौपदी : हा मॅडम, मै द्रौपदी बोल रही हूं… ! मेरी टिकट पक्की है ना…, देखीये इस वस्त्रहरण के बाद मैही यहांकी मालकीन बनुंगी ! तो आपकी पार्टीके लिये डोनेशन पक्का !

मॅडम : डोनेशन तो भानुमतीभी देनेको तैय्यार है द्रौपदी? तुममेंसे जो ज्यादा डोनेशन देगा पार्टीके लिये, टिकट उसी का हुआ समझो!

द्रौपदी : भानुमतीकी छोडीये मॅडम, कुछ दिनो बाद तो उसको वैसे भी खानेके लाले पडने वाले है, वो क्या डोनेशन देगी? आप मेरी इलेक्शन टिकट तय्यार रखीये! इस बार तो मै ही मै छा जाऊंगी हर तरफ़…

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स्टेज पर सारे लोग इकठ्ठा हो जाते है…

सुत्रधार : थोडी ही देर में खेल आरंभ हो जायेगा ! बस दुर्योधन और धर्मराजमें ये तय हो जाये की खेलना क्या है?

अंताक्षरी या द्युत?

(स्टेजपर दुर्योधन और धर्मराज झगड रहे है…., जोर जोरसे आवाजे आ रही है, एक कहता है द्युत, दुसरा कहता है नही अंताक्षरी, झगडा जारी)

द्रौपदी : हे राम, सारे प्लानींगपें पानी फेरता नजर आ रहा है…, दु:शासन को पटाना पडेगा, नही तो सनकुछ हाथसे निकल जायेगा…

(दु:शासनको एक साईड में लेकर कुछ खुसर्-फुसर करती है)

दु:शासन : भाई लोग, आप ये डिसाईड कर लो, तब तक हम लोग वस्त्रहरण का एपिसोड शुट कर लेते है…., भॅब्स, मेरा 30% पक्का ना?

द्रौपदी : एकदम पक्का?

दु:शासन द्रौपदीकी साडी खिचना चालु कर देता है…

दुर्योधन : (गुस्सेसे उसकी तरफ दौडता है) पापी, अधम मां जैसी भाभी का अपमान करता है, रुक तुझे देखता हुं मै… (द्रौपदी, केबल का ५०% याद रखना…)

धर्मराज : (याच्या डोक्यात प्रकाश पडलेला आहे आता) नो… नाय…. नेवर ! ये चिटींग है, चीटींग..चीटी….चीटींग ! सब मेरे साथ चिटींग करते है… (रोने लगता है)

एवढ्यात अचानक कुणीतरी टिव्ही चालु करतो……

टिव्ही पर न्युज चॅनेल परसो तक….

नमस्कार !

‘परसो तक’ न्युज के सभी श्रोताओंको नमश्कार ! आप देख रहे है आपका अपना न्युज चॅनेल ‘परसो तक’ और मै हु आपकी अपनी न्युज रिपोर्टर शीला के जवानी.

आईये हमारे संवाददाता के साथ आपको ले चलते है सिधे जंतर्-मंतर, नई दिल्ली ! संजय, क्या आप हमें सुन पा रहे है, जरा वहा के हालात का जायजा दिजीये हमे! क्या हो रहा है जंतर मंतर पर !

(संवाददाता थोडी देर माईक की तरफ देखते हुये चुपचाप खडा रहेगा, हमेशा की तरह )

हल्लो, हल्लो शीला केजवानी मै ‘परसो तक’ का स्पेशल करस्पॉंडेंट संजय दिव्यदृष्टी बोल रहा हूं सिधे जंतर मंतर से. यहा मा. अण्णा गजारेजी का आंदोलन चला रहा है भ्रष्टाचार के खिलाफ. जी हा..जी हा बेदी मॅडम और गाजरीवालजीभी मौजुद है ! लोगोकी भीड काफी बडी तादादमें है, एक कोनेमें कुछ गधोंका एक झुंडभी नजर आ रहा है! उसी झुंडके पीछे कुछ बैल, कुछ गाये, कुछ कुत्ते और सत्ताधारी पार्टीके कुछ सदस्यभी नजर आ रहे है! यहा लोगोंका उत्साह बढता जा रहा है! लोग मा. गजारेजी को सपोर्ट करनेके मुड में नजर आ रहें है ! काफी जोर शोरसे भ्रष्टाचारके खिलाफ नारेबाजी हो रही है ! लगता है इस बार सत्ताधारी पार्टी को मध्यावधी चुनाव लेनेही पडेंगे….

शीला केजवानी..: हॅल्लो, हॅल्लो… लगता है संजयजीसे संपर्क टुट चुका है! हमारे साथ बने रहीये आपके अपने चॅनेल ‘परसो तक’ और आपकी अपनी न्युज रिपोर्टर ‘शीला केजावानी’ के साथ ! तबतक के लिये नमस्ते….

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अचानक स्टेजपें अंधेरा हो जाता है ! थोडी देरके बाद हलके से एक आवाज आती है……….

मै… समय बोल रहा हुं !

जी हा मै समयही बोल रहा हुं, मतलब ‘काल’ ! मेरे प्यारे इंसानो, आपने अभी अभी सुना की किसीने भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजा दिया है ! और तो और इसबार जनताभी सडकपर उतर आयी है! लगता है भगवान श्रीकृष्णने इसबार युद्धसे पहलेही अपना विराट रुप दिखाना आरंभ कर दिया है! आज तक कभी आपने आम आदमी को इस तरह सडकपें उतरकर अन्यायका विरोध करते देखा है इस भारतमें? हमने बहोतसे युद्ध लडे है, बहुतसी जंगे देखी है, लेकीन ये पहली बार है, जब जंग दो राजाओ या दो राज्यों, दो राष्ट्रोके बीच नही बल्की इन्सानीयत और इन्सानीयत के दुश्मनोके बीच हो रही है! धर्मराज, दुर्योधन और सभी भारतवासीयो सुनो, सुनो इस शक्तीशाली रणगर्जनाको! आओ भाईयो, ये वक्त आपसमें लडने का नही है, ये वक्त है मानवता के दुश्मनोके खिलाफ जंग छेडने का, ये वक्त है आतंकवाद, भ्रष्टाचारके खिलाफ इकठ्ठे होकर आवाज उठाने का! देखो भगवान श्रीकृष्ण ने आम आदमी के रुपमें अपना विश्वरुप दिखा दिया है ! अब वक्त है इस विश्वरुपकी ताकद बढाने का ! इस भ्रष्टाचारके दानवको खदेडना है, आतंकवादको मिटाना है तो हम सबको एक होकर अपनी संमीलीत शक्ती का प्रयोग करना होगा !

आओ हम सब मिलकर एक नया महाभारत लिखते है जिसमें सबको खुशी मिलेगी, न्याय मिलेगा ! अब कोइ भाई अपने भाईसे नही लडेगा ! अब कोइ नाहक अत्याचार नही सहेगा! हर अत्याचार का, हर भ्रष्टाचारका करारा जबाब दिया जायेगा! अब कोइ नारी अपमानीत नही होगी, उसे उसका संमान हासील हो के रहेगा ! आओ हम सब मिलके ये नया महाभारत रचते है ! नये खुशहाल भारत का निर्माण करते है ! चलो भाईयो हाथ मिलाओ और इस मानवता के दुश्मनोंके खिलाफ अपनी जंग का यल्गार कर दो……

हर हर महादेव….! हर हर महादेव………….!!

Background chanting

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥”

मंडळी, रडू नका, चिडू नका ! उतू नका, मातू नका घेतला वसा (“वरील लेखन हलके घेण्याचा”) टाकु नका .

इरसाल म्हमईकर

आमचीबी चालुगिरी…

मंडळी आपुन समदे जन ल्हानाचे मोट्ये हुताना काय ना काय लै भारी चालुपणा करत मोटे जालेलो असतो. तुमी तुमच्या आविष्यात कंदी काय चहाटळपणा केला आसल, काय बाय चंमतगं क्येली आसल, कुनाची टोपी उडवली आसल तर त्ये समदे आणुभव लै भारी असत्याती बगा….

आमी तरी काय कमी हुतो म्हन्ता काय? लै इपितर सोभाव हुता पगा आमचाबी… येकदा तर लै भारीच गमजा केली बगा..

त्येचं आसं जालं बगा कालेजच्या पयल्या का दुसर्‍या सालात शिकत असताना आमी सोलापुरला इज्यापुर नाक्यापाशी रायचो बगा. रोजच्याला बसनं कालिजात जायचु. आपली ७ लंबरची सम्राट चौकापत्तुर जाणारी बस वो. आयटीयापाशी बसाचु आन थेट पांजरापोळ चौकात उतराचो.

एका दिशी काय जालं, आमच्या मागच्या शीटावर (म्हंजी बशीतल्या वो) दोन चिकण्या पोरी बसल्या व्हत्या. आता आमाला एक ले इचित्र सवय हाये बगा..

म्हंजी दिसलं देवाळ की जोड हात, दिसलं देवाळ की जोड हात !

पोरी जरा चालु व्हत्या, आमची खोड लक्षात आली आन त्येनी क्येलं की चालु चिडवाया. आमी देवाळ बगुन नमस्कार क्येला की त्याबी उटायच्या आन खिडकीत वाकुन नमस्कार कराच्या आन वर फ़िदी फ़िदी हासाच्या पण बगा. आमाले तर लैच कसंतरी वाटाया लागलं ना यार.

तेवड्यात काय जालं एका ष्टापवर बस थांबली. ष्टापकडं पायलं (ष्टाप कसला वो, खांबाला लटकवलेली पाटी नुसती) आमचीबी कळी खुलली (आयव मलाबी ते काव्याट्मक की काय ते लिवता अलं की)

तर ष्टापच्या म्हागं ध्यान ग्येलं आन आमी पटकनी हुबे रायलो आन झटकनी नमस्कार क्येला बगा..
तशा त्या पोरीबी हुब्या रायल्या आन त्येनी मी नमस्कार क्येला..

आता हासायची बारी आमची हुती… आमी लै (आक्षी रावणावानी) हासाया लागलो की द्येवानु…
बस हालली, पण हालता हालता पोरींना त्ये दिसलंच…
ज्येला आमी नमस्कार क्येला हुता त्यो एक बोर्ड हुता.
त्येच्यावर लिवलं व्हतं…

“सरकारमान्य देशी दारुचा गुत्ता”

पोरी अशा काय त्वांड करुन बसल्या की ज्याचं नाव त्ये! लै मजा आली राव…

तुमी बी क्येला आसलच की आसला चालुपना कंदी ना कंदी..
मंग सांगा की राव आमाला बी !

इरसाल म्हमईकर